
जादूगोड़ा: उत्क्रमित हिंदी उच्च विद्यालय, चापड़ी के प्रांगण में मंगलवार को सबर समुदाय के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर का उद्देश्य सबर परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना था. लेकिन अव्यवस्था के कारण यह शिविर उम्मीदों की जगह निराशा का प्रतीक बनकर रह गया.
शिविर स्थल पर न तो बैठने की समुचित व्यवस्था थी और न ही पीने के पानी का प्रबंध. तपती धूप और असुविधाओं के बीच सबर परिवार अपनी फरियाद लेकर पहुंचे, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ा. यह स्थिति सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करती है.
धालभूमगढ़ से अपने ससुराल, चापड़ी गांव पहुंचे बाबू लाल सबर चार बच्चों के साथ अपनी समस्याएं लेकर शिविर में उपस्थित हुए. लेकिन उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया. समाधान की बजाय उन्हें निराशा हाथ लगी और अंततः वे मायूस होकर लौट गए.
शिविर में कुछ सबर परिवारों ने हिम्मत दिखाते हुए आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन दिया. लगभग 17 परिवारों ने अपने स्वास्थ्य की जांच कराई. डॉक्टर ज्योति कुमारी ने स्किन रोग, हेमोग्लोबिन की कमी जैसी समस्याओं की पहचान कर दवाएं वितरित कीं.
अशिक्षा और सूचना के अभाव के कारण आज भी कई सबर परिवार पेंशन, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड और राशन से लिंक जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं से वंचित हैं. शिविर में उनका मार्गदर्शन नहीं हो सका और व्यवस्थागत कमियों ने उनकी आशाओं को फिर से झकझोर दिया.
शिविर में प्रखंड विकास पदाधिकारी अदिति गुप्ता, मुखिया दुलारी सोरेन समेत सभी विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे. अब यह देखना अहम होगा कि इस शिविर से वंचित समुदाय को कितना वास्तविक लाभ मिल सका या यह आयोजन केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा.
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