New Delhi : बिहार चुनाव 2025 : राजग ने सौहार्दपूर्ण तरीके से सीटों का फॉर्मूला किया तय, वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन राजद-कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारा उलझा

  • राघोपुर में PK बनाम तेजस्वीकौन होगा बाजीगर?

नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने आखिरकार सीट बंटवारे के गणित को सुलझा लिया है और आधिकारिक रूप से यह घोषणा की है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) 243 सीटों में से 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। शेष 41 सीटों में से लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 29 सीट, जबकि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को छह-छह सीटें दी गई हैं। NDA द्वारा सीटों का यह समान वितरण इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि पहली बार बिहार में BJP और JDU बराबर सीटों पर चुनाव मैदान में उतरने जा रही हैं। दूसरी ओर, विपक्षी INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है और इस देरी ने गठबंधन में अंदरूनी तनाव को बढ़ा दिया है।

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NDA के सीट बंटवारे के बाद नई राजनीतिक समीकरण की शुरुआत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने BJP के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताकर स्पष्ट संकेत दिया है कि वह NDA में बराबरी की हैसियत बरकरार रखना चाहते हैं। उनकी यह रणनीति आगामी चुनाव में NDA के बीच संतुलन बनाने के साथ-साथ JDU के संगठन कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने का प्रयास भी मानी जा रही है। हालांकि NDA की सहयोगी पार्टी HAM के नेता जीतन राम मांझी सीट बंटवारे से नाराज दिखे। उन्होंने साफ कहा कि छह सीटें देकर उनकी राजनीतिक ताकत को कम आंका गया है, जिससे NDA को नुकसान हो सकता है। फिर भी मांझी ने यह भी दोहराया कि वह किसी भी परिस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ नहीं छोड़ेंगे। राजग की बैठक में सौहार्दपूर्ण वातावरण दिखा, पर अंदरूनी असंतोष को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।

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जीतन राम मांझी की नाराजगी—NDA को कितना भारी पड़ेगा?

उधर विपक्षी INDIA गठबंधन का संकट गहराता जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अचानक दिल्ली रवाना हुए, जिससे गठबंधन में मतभेद की अटकलें तेज हो गईं। कांग्रेस, वामदलों और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है। राजद ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में 243 सीटों में से कम से कम आधी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसी कारण कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है, खासकर अपनी हाल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की सफलता के आधार पर। राहुल गांधी द्वारा 25 जिलों का दौरा करने से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा है। लेकिन गठबंधन के अंदर सीटों को लेकर हो रही खींचतान ने उम्मीदवारों में बेचैनी बढ़ा दी है।

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RJD-कांग्रेस में सीटों को लेकर टकराव क्यों बढ़ा?

लालू परिवार के दिल्ली जाने पर यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे राहुल गांधी से बात करके सीट बंटवारे में हस्तक्षेप की मांग करेंगे। लेकिन बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस अटकल पर विराम लगाते हुए कहा कि लालू यादव परिवार जमीन के बदले नौकरी घोटाले में अदालत में पेश होने दिल्ली गए हैं। उन्होंने दावा किया कि INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर ज्यादा दिक्कतें नहीं हैं और दो दिनों में सब साफ हो जाएगा। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि INDIA गठबंधन अब भी एकजुट होकर सीटों की घोषणा नहीं करता है तो इसका सीधा फायदा NDA को मिल सकता है, जो पहले ही अपने रणनीतिक चेहरे और विषय तय कर चुका है।

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क्या INDIA गठबंधन समय पर एकजुट हो पाएगा?

इस बीच बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण उभर रहा है—जन सुराज पार्टी। प्रशांत किशोर की इस पार्टी ने न सिर्फ सक्रिय मैदान में उतरने का ऐलान किया है, बल्कि 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। पार्टी सोमवार को एक और सूची जारी करने की तैयारी में है। सबसे दिलचस्प मुकाबला राघोपुर सीट पर माना जा रहा है, जहां से तेजस्वी यादव तीसरी बार जीत दर्ज करने की कोशिश में हैं। संकेत हैं कि प्रशांत किशोर उन्हीं के खिलाफ मैदान में उतर सकते हैं, जिससे यह मुकाबला हाई प्रोफाइल हो जाएगा। बिहार की राजनीति में PK के एंट्री के बाद सत्ता का समीकरण त्रिकोणीय होने की संभावना बढ़ गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि INDIA गठबंधन सीटों की लड़ाई से खुद को कब बाहर निकाल पाता है और NDA अपने दम पर कितना मजबूत हो पाता है।

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