झाड़ग्राम: सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी न देने और शिक्षक के साथ कथित अनुचित व्यवहार के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग की कड़ी आलोचना की। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रधानाध्यापक को शिक्षक को जानकारी भेजने का निर्देश दिया।
बांकुड़ा जिला के हरमसारा गांव निवासी शिक्षक हेरंबा नाथ चक्रवर्ती 2006 से झाड़ग्राम के गोपीबल्लभपुर–1 ब्लॉक स्थित नयाबासन जनकल्याण विद्यापीठ में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। 2021 में उत्सश्री परियोजना के तहत उनका स्थानांतरण घर के पास के एक विद्यालय में हुआ, लेकिन उन्हें सेवा पुस्तिका अभी तक नहीं मिली।
शिक्षक ने 2022 में प्रधानाध्यापक तुषार कांति महापात्र को सेवा पुस्तिका और समिति प्रस्ताव की प्रति के लिए RTI आवेदन दिया, जिसे प्रधानाध्यापक ने स्वीकार नहीं किया। मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा। जुलाई 2024 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई, लेकिन आयोग ने आवेदक शिक्षक को ही दोषी ठहराते हुए मामला समाप्त कर दिया।
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शिक्षक ने वकील सब्यसाची चटर्जी के माध्यम से इस आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति ओम नारायण राय की पीठ ने 18 सितंबर को आयोग की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि आयोग “अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह विफल” रहा। हाईकोर्ट ने मामले को पुनः आयोग को भेजते हुए आठ सप्ताह के भीतर सुनवाई और निर्णय का आदेश दिया।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद, राज्य सूचना आयोग ने 14 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुनः सुनवाई की। न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए आयोग ने प्रधानाध्यापक तुषार कांति महापात्र को निर्देश दिया कि वे अगले महीने के भीतर शिक्षक हेरंबा नाथ चक्रवर्ती को स्पीड पोस्ट के माध्यम से मांगी गई जानकारी प्रदान करें।
इस घटनाक्रम को आरटीआई के तहत जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।