
चाईबासा: आदिवासी उरांव समाज के महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पर्व ‘सरहुल’ के 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती का आयोजन किया जाएगा. इस अवसर पर आयोजित बैठक में सरहुल महापर्व के महत्व और आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा की गई. बैठक की अध्यक्षता नवल कच्छप ने की और इसमें अन्य प्रमुख सदस्य भी शामिल हुए.
सरहुल महापर्व: प्रकृति पूजन और आभार का पर्व
सरहुल पर्व आदिवासी उरांव समाज में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो प्रकृति और स्थानीय देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और आभार का प्रतीक है. यह पर्व आदिवासी समुदाय की परंपराओं और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें प्रकृति से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है.
रजत जयंती और रंगारंग कार्यक्रम
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 25 वर्षों की सफलता के उपलक्ष्य में सरहुल शोभा यात्रा को रजत जयंती के रूप में मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम 29 मार्च 2025 को सरहुल चौक, मेरी टोला में आयोजित किया जाएगा. इसमें आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को सम्मानित करते हुए एक रंगारंग आयोजन होगा.
मोटरसाइकिल जुलूस: एकता का प्रतीक
सरहुल पर्व के दिन, 1 अप्रैल 2025 को सुबह 10 बजे, सातों अखाड़ा के युवा शहर में एक मोटरसाइकिल जुलूस निकालेंगे. यह जुलूस समाज में सकारात्मक संदेश फैलाने और आदिवासी संस्कृति की महत्ता को उजागर करने का उद्देश्य रखता है. इस जुलूस के माध्यम से आदिवासी समुदाय की एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाना लक्ष्य है.
शोभा यात्रा का मार्ग और आयोजन की तैयारी
बैठक में सचिव लालू कुजूर ने बताया कि इस वर्ष भी सरहुल शोभा यात्रा का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा. यह यात्रा सरहुल चौक से शुरू होकर शहर के विभिन्न प्रमुख स्थानों से होते हुए मेरी टोला चौक में समाप्त होगी. यात्रा के मार्ग में चित्रो टोला, बान टोला, पुलहातु, गांधी मैदान और अन्य प्रमुख स्थल शामिल होंगे.
बैठक में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस बैठक में प्रमुख रूप से अनिल लकड़ा, गणेश कच्छप, शंभू टोप्पो, जीतु तिर्की, पंकज खलखो, मुखिया छिदिया कच्छप, श्याम लकड़ा, चमरू लकड़ा, सोमरा बाड़ा, कारी तिर्की, सीताराम मुंडा, रोहित खलखो, राजेंद्र कच्छप, सुखलाल कुजूर, चामा कुजूर, रामू टोप्पो, ईश्वर कच्छप, गौरी शंकर टोप्पो, गणेश कुजूर, यदुनाथ बरहा, चुंदा लकड़ा, धनु कोया जैसे प्रमुख लोग उपस्थित थे.
इसे भी पढ़ें : Seraikela : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने पैतृक गांव झिलिंगगोंडा में बाहा पर्व मनाया