
पश्चिमी सिंहभूम: पश्चिमी सिंहभूम जिले के मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत के भनगांव में पिछले तीन दिनों से जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाथियों के हमले में अब तक 8 से 10 ग्रामीणों के घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुके हैं. हाथियों ने घरों में रखा खाद्यान्न खा लिया और बाकी सामानों को भी नष्ट कर दिया. हाथियों के अचानक गांव में घुसने से ग्रामीणों में भारी दहशत फैल गई है. रात में जागकर पहरा देने की मजबूरी बन चुकी है. महिलाएं और बच्चे भयभीत हैं और न दिन में चैन है, न रात को नींद. हाथी कभी भी, दिन या रात, गांव में पहुंचकर घरों को तोड़ना शुरू कर दे रहे हैं, जिससे ग्रामीणों की जान खतरे में पड़ गई है.
वन विभाग की नाकामी
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग की ओर से हाथियों को भगाने के प्रयास लगातार असफल हो रहे हैं. अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे हाथियों को आबादी से दूर किया जा सके. इस कारण ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. 21 मार्च को जंगली हाथियों ने भनगांव निवासी बिरसा नायक, गोविंद नायक, रंगो चाम्पिया, रोया चाम्पिया और चरण नायक के घरों को तहस-नहस कर दिया. अगले ही दिन, 22 मार्च को हाथियों ने फिर से रोया चाम्पिया के घर को नुकसान पहुंचाया.
भय और पलायन की स्थिति
लगातार हो रही तबाही से लोग भयभीत हैं और अब वे गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने की सोचने लगे हैं. पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा ने गांव का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे हाथियों को नुकसान न पहुंचाएं और संयम बनाए रखें.
वन विभाग से मुआवजे की मांग
मुखिया लिपि मुंडा ने वन विभाग से मांग की कि जल्द से जल्द हाथियों को आबादी से दूर सुरक्षित जंगल में भेजा जाए, ताकि गांव में फैली दहशत का माहौल खत्म किया जा सके. साथ ही, उन्होंने यह भी आग्रह किया कि जिन ग्रामीणों के घर और सामान हाथियों ने नष्ट किए हैं, उनका तुरंत आकलन कर मुआवजा प्रदान किया जाए, ताकि पीड़ित परिवार अपना जीवन फिर से सामान्य बना सकें.
वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
भनगांव में जंगली हाथियों का यह कहर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है. यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है. ग्रामीणों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए सरकार और वन विभाग को तुरंत ठोस कार्रवाई करनी होगी.
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