- स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया के प्रभाव पर कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों ने भाषण प्रतियोगिता में रखी अपनी राय
जमशेदपुर : स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट और नेचर फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित चतुर्थ बालमेला 2025 के छठे दिन कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए डिजिटल युग में बचपन और सोशल मीडिया के पहचान संकट विषयक भाषण प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता में बच्चों ने अपने विचार व्यक्त किए कि कैसे मोबाइल और डिजिटल दुनिया ने उनके वास्तविक जीवन को प्रभावित किया है। कई प्रतिभागियों ने अकेलापन, तनाव, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि क्रिकेट और अन्य वास्तविक खेलों की जगह अब डिजिटल खेलों ने ले ली है, जिससे शारीरिक गतिविधि और सामाजिक संवाद घट गया है।
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डिजिटल युग में बच्चों का वास्तविक खेलों से कटाव
प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि डिजिटल युग ने बच्चों के जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। पहले बच्चे जल्दी उठकर खेलते और मित्रों से मिलते थे, जबकि अब बातचीत और मित्रता वर्चुअल माध्यमों तक सीमित हो गई है। ऑनलाइन पढ़ाई और वीडियो कॉल से ज्ञान मिलता है, लेकिन कक्षा में मिलने वाले अनुभव का अभाव महसूस होता है। साइबर बुलिंग और स्क्रीन टाइम की बढ़ती संख्या बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। बच्चों की आंखें खराब हो रही हैं और वे प्राकृतिक जीवन के अनुभवों से दूर हो रहे हैं।
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स्क्रीन टाइम और साइबर बुलिंग से बच्चों पर असर
प्रतिभागियों ने डिजिटल और वास्तविक दुनिया के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मिट्टी में खेलना, छुप्पन-छुपाई और शोर मचाना बच्चों के बचपन का अहम हिस्सा था। डिजिटल दुनिया में स्क्रीन टाइम बढ़ने से यह सब घट रहा है। मोबाइल और सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल से बच्चों में तनाव और माता-पिता से झगड़े बढ़ रहे हैं। शोध यह भी बताते हैं कि डिजिटल युग में शारीरिक मेहनत कम हो गई है और वर्चुअल गतिविधियां बढ़ गई हैं, जिससे बच्चों की समग्र जीवनशैली प्रभावित हो रही है।
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डिजिटल और वास्तविक दुनिया में संतुलन की आवश्यकता
सोशल मीडिया के प्रभावों पर भी प्रतियोगियों ने अपनी राय दी। उनका कहना था कि सोशल मीडिया अक्सर व्यक्तिगत और सामाजिक पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। प्रेम और दोस्ती के आभासी रूप, फर्जी नाम और तस्वीरें बच्चों में भ्रम पैदा कर रही हैं। सोशल मीडिया पर गलत संदेश, भद्दे प्रयास और यहां तक कि आत्महत्या जैसी घटनाएं नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। बच्चों ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग सोच-समझकर और सुरक्षित तरीके से होना चाहिए, और महत्वपूर्ण दस्तावेज कभी भी ऑनलाइन साझा नहीं करने चाहिए।
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सोशल मीडिया के खतरों और सुरक्षित उपयोग पर बच्चों का सुझाव
भाषण प्रतियोगिता में पुरस्कार विजेताओं की घोषणा भी की गई। कक्षा 9 और 10 में प्रथम स्थान रितु कुमारी, द्वितीय स्थान कुमारी श्रद्धा गोसाईं और तृतीय स्थान अभिजीत पांडेय को मिला। वहीं, कक्षा 11 और 12 में प्रथम स्थान काजल कुमारी, द्वितीय स्थान रौशनी कुमारी और तृतीय स्थान लक्ष्मी महतो को दिया गया। विजेताओं को रिटायर्ड आईपीएस संजय रंजन और वरीय जदयू नेता धर्मेंद्र तिवारी ने पुरस्कृत किया। बच्चों ने इस प्रतियोगिता में डिजिटल युग और सोशल मीडिया के खतरे और संभावनाओं पर गहन मंथन किया और जागरूक संदेश दिए।